Monday, November 05, 2018

सवाल

बदल के अंदाज़ अपने हर बार लेती इम्तिहान है ज़िन्दगी,
जवाब की जुस्तजू में खुद मैं भी एक सवाल बन गया हूँ...


कैसे ज़िंदा हूँ बिना ज़िन्दगी, एक सवालिया निशान है,
हर सवाल का जवाब हो, यह तमन्ना भी तो मुहाल है…

Sunday, November 04, 2018

मुक़द्दस

मुक़द्दर के सितम को समझ के मुक़द्दस यह मजनूँ धड़कने,
एक खंडहर पे पहरा देती अब भी मुकर्रर जैसे दस्तूर हो कोई...